Bible

Power Up

Your Services with User-Friendly Software

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

1 Samuel 31

:
Hindi - CLBSI
1 पलिश्‍तियों ने इस्राएलियों से युद्ध छेड़ दिया। इस्राएली सैनिक पलिश्‍तियों के सामने से भागे। पर वे गिलबोअ पहाड़ पर मर-मरकर धराशायी हो गए।
2 पलिश्‍ती सैनिकों ने शाऊल और उसके पुत्रों का पीछा किया। उन्‍होंने शाऊल के पुत्रों, योनातन, अबीनादब और मल्‍कीशूअ को मार डाला।
3 शाऊल के समीप घमासान युद्ध होने लगा। धनुर्धारी सैनिकों ने उसे पा लिया। शाऊल धनुर्धारियों की मार से बहुत घायल हो गया।
4 शाऊल ने अपने शस्‍त्रवाहक से कहा, ‘अपनी तलवार निकाल। उसको मेरे शरीर पर भोंक दे। ऐसा हो कि ये बेखतना पलिश्‍ती आएं, मेरे शरीर पर अपनी तलवार भोंके, और फिर मेरा मजाक-उड़ाएं!’ परन्‍तु उसका शस्‍त्रवाहक बहुत डर गया। उसने शाऊल का आदेश नहीं माना। अत: शाऊल ने अपनी तलवार निकाली, और स्‍वयं उस पर गिर पड़ा।
5 जब शाऊल के शस्‍त्रवाहक ने देखा कि शाऊल ने आत्‍महत्‍या कर ली, तब वह भी अपनी तलवार पर गिर पड़ा और मर गया।
6 यों उस दिन शाऊल, उसके तीन पुत्र और उसका शस्‍त्रवाहक एक ही दिन मर गए।
7 जब घाटी की दूसरी ओर तथा यर्दन नदी के उस पार के इस्राएली लोगों ने देखा कि इस्राएली सेना भाग गई, और शाऊल तथा उसके पुत्र युद्ध में मर गए तब वे नगर छोड़कर भाग गए। पलिश्‍ती आए, और वे उन नगरों में रहने लगे।
8 दूसरे दिन पलिश्‍ती सैनिक मृत इस्राएली सैनिकों के शस्‍त्र-वस्‍त्र उतारने के लिए आए। उन्‍हें गिलबोअ पहाड़ पर शाऊल और उसके तीन पुत्रों की लाशें पड़ी हुई मिलीं।
9 उन्‍होंने शाऊल का सिर काट लिया, और उसके शस्‍त्र उतार लिये। उसके बाद उन्‍होंने समस्‍त पलिश्‍ती देश में दूतों को भेजा कि वे मूर्ति-प्रतिष्‍ठान के स्‍थानों में तथा जन-साधारण को विजय का सन्‍देश सुनाएं।
10 उन्‍होंने शाऊल के शस्‍त्र अशेराह देवी के मन्‍दिर में रख दिए। उन्‍होंने उसकी लाश बेतशान नगर की शहरपनाह पर लटका दी।
11 जब याबेश-गिल्आद के निवासियों ने सुना कि पलिश्‍ती सैनिकों ने शाऊल के साथ कैसा व्‍यवहार किया है,
12 तब सब योद्धा उठे। वे रात भर चलते हुए बेतशान पहुँचे। उन्‍होंने शहरपनाह से शाऊल और उसके तीनों पुत्रों की लाशें उतार लीं और याबेश नगर को लौट आए, और वहाँ लाशें जला दीं।
13 उन्‍होंने राख में से मृतकों की अस्‍थियाँ निकालीं, और उनको याबेश नगर में झाऊ वृक्ष के नीचे गाड़ दिया। उन्‍होंने शोक प्रकट करने के लिए सात दिन तक उपवास किया।